BA Semester-1 Manovigyan - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2630
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान के प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।

अथवा
सह-सम्बन्ध की उपयुक्त परिभाषा दीजिये और बताइये कि यह कितने प्रकार का होता है?
लघु प्रश्न
1. सह-सम्बन्ध का प्रत्यय।

अथवा
सह-सम्बन्ध एवं उसके प्रकार बताइये।
2. धनात्मक सह-सम्बन्ध की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
3.ऋणात्मक सह-सम्बन्ध की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
4. शून्य सह-सम्बन्ध।
5 गुणात्मक सह-सम्बन्ध किसे कहते हैं?
6. रेखीय तथा अरेखीय सह-सम्बन्ध में अन्तर बताइये।

उत्तर -

सह-सम्बन्ध का अर्थ
(Meaning of Correlation)

सह-सम्बन्ध की उत्पत्ति Correlation शब्द से हुई। इसमें हम दैनिक या व्यावहारिक जीवन में दो या अधिक गुणों का तुलनात्मक अध्ययन करते हैं। इसमें दो या अधिक समान समूहों के छात्रों के विभिन्न विषयों के प्राप्तांकों की तुलना करके इनका पारस्परिक सम्बन्ध ज्ञात करते हैं। इसी पारस्परिक सह-सम्बन्ध को सह-सम्बंध कहते है अर्थात् सह-सम्बन्ध में हम व्यक्ति की दो योग्यताओं अथवा समूहों की योग्यता की तुलना करते हैं।

सह-सम्बन्ध की परिभाषाएँ
(Definitions of Correlation)

ब्लोमर्स और लिण्डक्विस्ट (Blommers and Lindquist, 1958) के अनुसार- "सह-सम्बन्ध के द्वारा यह अध्ययन किया जाता है कि व्यक्ति या वस्तुयें एक आयाम या दिशा में औसत से अधिक या औसत से कम है तो दूसरी दिशा में क्या प्रवृत्ति है अर्थात् औसत है, औसत से अधिक है या औसत से कम है।

फरग्यूसन (G. H. Ferguson, 1966) के अनुसार, "सह-सम्बन्ध का उद्देश्य दो चरों में पाये जाने वाले संबंध की मात्रा का पता लगाना होता है।

गिलफोर्ड (J. P. Guilford) के अनुसार, "सह-सम्बन्ध गुणांक वह अकेली संख्या है जो यह बताती है कि दो वस्तुयें किस सीमा तक एक-दूसरे में सह सम्बन्धित हैं तथा एक परिवर्तन से दूसरे के परिवर्तन को किस सीमा तक प्रभावित करते हैं।"

गेरेट (H. E. Garret) के अनुसार, "दो या अधिक चल राशियों, घटनाओं या वस्तुओं के पारस्परिक संबंध को सह-सम्बन्ध कहते हैं।

सह-सम्बन्ध के संकेत (Cues of correlation) - सह-सम्बन्ध को निम्नलिखित संकेतों द्वारा प्रदर्शित करते हैं

Rho = correlation, P = correlation, R = correlation, r = correlation

सह-सम्बन्ध का स्वरूप (Nature of Correlation) सह-सम्बन्ध दो चरों के प्राप्तांकों का आपसी सह-सम्बन्ध प्रदर्शित करता है। इसका स्वरूप

इस प्रकार है -

1. प्रथम चर में हुए परिवर्तन का प्रभाव दूसरे चर पर पड़ता है।

2. यह परिवर्तन धनात्मक भी हो सकता है तथा ऋणात्मक भी हो सकता है। 3. यदि दोनों चरों का आपसी प्रभाव शून्य होता है तो यह शून्य सह-सम्बन्ध कहलाता है।

सह-सम्बन्ध के प्रकार
(Types of Correlation)

सह-सम्बन्ध के प्रकारों को मुख्यतः निम्न भागों में बाँट सकते हैं -
2630_03_19.jpg

धनात्मक सह-सम्बन्ध

(Positive Correlation)

जब एक चर में वृद्धि होने पर दूसरे में भी वृद्धि होती है तथा एक चर में कमी होने से दूसरे चर में भी कमी होती है तो धनात्मक सह-सम्बन्ध कहलाता है। इसका कारण यह है कि चर में एक ही दिशा में परिवर्तन होता है।

1. पूर्ण धनात्मक सह-सम्बन्ध (Perfect Positive Correlation) जब दो चरों की मात्रा अनुपातिक रूप में घटती या बढ़ती है तो इसे पूर्ण धनात्मक सह-सम्बन्ध कहते हैं। इसे निम्न चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं

चित्र मे X अक्ष पर इंचो के मान तथा Y अक्षों पर सेन्टीमीटर के मानों को लिया गया है। उपरोक्त ग्राफ में पूर्ण धनात्मक सह-सम्बन्ध है।

2630_04_19.JPG

 

2. उच्च धनात्मक सह-सम्बन्ध (High Perfect Correlation): कभी-कभी एक चर में परिवर्तन से दूसरे चर में अत्यधिक परिवर्तन हो जाता है। इसे उच्च धनात्मक सह-सम्बन्ध कहते हैं। इसे निम्न चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं -

2630_05_19.jpg

 

चित्र में X अक्ष पर भार तथा Y अक्ष पर कद (लम्बाई) को प्रदर्शित किया गया है। यहाँ उपरोक्त चित्र में सह-सम्बन्ध उच्च श्रेणी का है।

3. सामान्य धनात्मक सह-सम्बन्ध (Moderate Positive Correlation) : जब मध्य रेखा के इर्द-गिर्द ही सह-सम्बन्ध फैलता है तो इसे सामान्य धनात्मक सह-सम्बन्ध कहते हैं। इसे निम्न चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं -चित्र में X अक्ष पर आय तथा Y अक्ष पर उपलब्धि को प्रदर्शित किया गया है। अंकों के वितरण को देखने से स्पष्ट होता है कि अंक रेखा के दोनों ओर काफी क्षेत्र में है परन्तु एक दिशा में है, इसलिये इसे सामान्य धनात्मक सह-सम्बन्ध कहेंगे।

2630_06_20.jpg

जब दो चरों में विपरीत दिशा में परिवर्तन होता है तो इसे ऋणात्मक सह-सम्बन्ध कहते हैं। उदाहरण के लिए जब टाइपिस्ट की टाइप करने की गति बढ़ती है तो उसकी शुद्धता में कमी आ जाती है। यह ऋणात्मक सह-सम्बन्ध है। इसे चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं।

चित्र में X अक्ष पर टाइप की गति तथा Y अक्ष पर शुद्धता दिखायी गयी है जो ऋणात्मक सह-सम्बन्ध को प्रदर्शित करती है।
2630_07_20.jpg

पूर्ण ऋणात्मक सह-सम्बन्ध (Perfect Negative Correlation) : जब दो चरों की मात्रायें समान अनुपात में विपरीत दिशा में प्रत्यक्ष एवं पारस्परिक रूप में बढती या घटती हैं तो इस अवस्था में दो चरों के मध्य पाया जाने वाला सम्बन्ध पूर्ण ऋणात्मक सह-सम्बन्ध होगा। इसे चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं

चित्र में X अक्ष पर अंर्तमुखी तथा Y अक्ष पर बर्हिमुखी व्यक्तित्व को प्रदर्शित किया है। दोनों व्यक्तित्व की विशेषतायें पूर्ण रूप से विपरीत होती हैं यहाँ पूर्ण ऋणात्मक सह-सम्बन्ध होगा।
2630_08_20.jpgशून्य सह-सम्बन्ध (Zero Correlation)

जब एक चर में होने वाले परिवर्तन से दूसरे चर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है तो इसे शून्य सह-सम्बन्ध कहते हैं। उदाहरण के लिए भार में वृद्धि होने से बुद्धिलब्धि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसे चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं-

2630_09_21.jpg

चित्र मे X अक्ष पर भार तथा Y अक्ष पर बुद्धिलब्धि को दिखाया गया है। यहाँ पर शून्य सह-सम्बन्ध है।

रेखात्मक सह-सम्बन्ध
(Linear Correlation)

जब दो चरों के चरों में इस प्रकार परिवर्तन होता है कि उनको एक रेखा द्वारा प्रदर्शित करते हैं तो यह रेखीय सह-सम्बन्ध कहलाता है। उदाहरण के लिए आयु और लम्बाई के सम्बन्ध को यदि ग्राफ पर प्रदर्शित करे तो ग्राफ एक सरल रेखा के रूप मे प्रदर्शित होगा।

वक्रात्मक सह-सम्बन्ध
(Curvilinear Correlation)

वक्रात्मक सह-सम्बन्ध वह सम्बन्ध होता है जिसमें एक सीमा तक तो दो चरों के मध्य सह- सम्बन्ध धनात्मक सह-सम्बन्ध होता है और इस सीमा के बाद ऋणात्मक सह-सम्बन्ध होता है। इसे निम्नलिखित चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं -


2630_10._21.jpg

चित्र में X अक्ष पर आयु तथा Y अक्ष पर स्मरण शक्ति को दिखाया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि आयु बढ़ने के साथ स्मरण शक्ति बढ़ती है। स्मरण शक्ति निश्चित आयु तक ही बढ़ती है इसके पश्चात् स्मरण शक्ति में ह्रास होने लगता है। अतः यहाँ वक्रात्मक सह-सम्बन्ध है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिये। इसके लक्ष्य बताइये।
  2. प्रश्न- मनोविज्ञान के उपागमों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- व्यवहार के मनोगतिकी उपागम को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- व्यवहारवादी उपागम क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- संज्ञानात्मक परिप्रेक्ष्य से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- मानवतावादी उपागम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- मनोविज्ञान की उपयोगिता बताइये।
  8. प्रश्न- भगवद्गीता में मनोविज्ञान को किस प्रकार समाहित किया है? उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- सांख्य दर्शन में मनोविज्ञान को किस प्रकार व्याख्यित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  10. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में मनोविज्ञान किस प्रकार परिभाषित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  11. प्रश्न- मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
  12. प्रश्न- मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
  13. प्रश्न- मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए इसकी विधियों पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
  17. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  18. प्रश्न- जब {D2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
  19. प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
  20. प्रश्न- चयनात्मक अवधान के किन्ही दो सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- चयनात्मक अवधान के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए
  22. प्रश्न- दीर्घीकृत ध्यान का स्वरूप स्पष्ट करते हुए, उसके निर्धारक की व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- चयनात्मक अवधान के स्वरूप को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  24. प्रश्न- चयनात्मक अवधान तथा दीर्घीकृत अवधान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  25. प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  26. प्रश्न- क्लासिकी अनुबन्धन सिद्धान्त का विवेचन कीजिए तथा प्राचीन अनुबन्धन के प्रकार बताइये।
  27. प्रश्न- क्लासिकल अनुबंधन तथा क्लासिकल अनुबंधन को प्रभावित करने वाले तत्वों की व्याख्या कीजिए।
  28. प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन का अर्थ और उसकी आधारभूत प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अधिगम अन्तरण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार बताइये।
  30. प्रश्न- शाब्दिक सीखना से आप क्या समझते हैं? शाब्दिक सीखने के अध्ययन में उपयुक्त सामग्रियाँ बताइए।
  31. प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिये।
  32. प्रश्न- शाब्दिक सीखना में स्तरीय विश्लेषण किस प्रकार किया जाता है?
  33. प्रश्न- शाब्दिक सीखना की संगठनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा का महत्त्व बताइये।
  35. प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन में संज्ञानात्मक कारकों की भूमिका बताइये।
  36. प्रश्न- अधिगम के नियमों का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- परिवर्जन सीखना पर टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- सीखने को प्रभावित करने वाले कारक।
  39. प्रश्न- स्मृति की परिभाषा दीजिये। स्मृति में सुधार कैसे किया जाता है?
  40. प्रश्न- स्मृति के प्रकारों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  41. प्रश्न- स्मृति में संरचनात्मक एवं पुनर्सरचनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- विस्मरण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  43. प्रश्न- प्रासंगिक तथा अर्थगत स्मृति से क्या आशय है? इनमें विभेद कीजिये।
  44. प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति को संक्षेप में बताते हुये दोनों में विभेद कीजिये।
  45. प्रश्न- 'व्यतिकरण धारण को प्रभावित करता है।' इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  46. प्रश्न- स्मृति के स्वरूप पर प्रकाश डालिए। स्मृति को मापने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- विस्मरण के निर्धारक और कारणों का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- संकेत आधारित विस्मरण किसे कहते हैं? विस्मरण के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
  49. प्रश्न- स्मरण के प्रकार बताइयें।
  50. प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति में अन्तर बताइये।
  51. प्रश्न- स्मृति सहायक प्रविधियाँ क्या हैं?
  52. प्रश्न- विस्मरण के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- पुनः प्राप्ति संकेतों के अभाव में किस प्रकार विस्मरण होता है?
  54. प्रश्न- स्मृति लोप क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- विस्मरण के अवशेष-प्रसक्ति समाकलन सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिये।
  56. प्रश्न- ध्यान के कौन-कौन से निर्धारक होते है?
  57. प्रश्न- दीर्घकालीन स्मृति तथा उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- ध्यान की मुख्य विशेषताएँ बताइये।
  59. प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- बुद्धि के संज्ञानपरक उपागम से आप क्या समझते हैं?
  61. प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
  63. प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
  64. प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
  66. प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
  67. प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
  68. प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
  69. प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
  70. प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
  71. प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
  72. प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
  73. प्रश्न- गार्डनर के बहुबुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- थर्स्टन के समूह कारक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  75. प्रश्न- स्पीयरमैन के द्विकारक सिद्धान्त के आधार पर बुद्धि की व्याख्या कीजिए।
  76. प्रश्न- स्पीयरमैन के द्विकारक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  77. प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
  78. प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
  79. प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  80. प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  82. प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
  83. प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
  84. प्रश्न- व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  85. प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- व्यक्तित्व के शीलगुणों का वर्णन कीजिये।
  88. प्रश्न- प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व एवं निरंकुश व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिये।
  89. प्रश्न- शीलगुण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  90. प्रश्न- शीलगुण उपागम में 'बिग फाइव' (OCEAN) संप्रत्यय की संक्षिप्त व्याख्या दीजिए।
  91. प्रश्न- प्रेरणा से आप क्या समझते हैं? आवश्यकता, प्रेरक एवं प्रलोभन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  92. प्रश्न- विभिन्न शारीरिक एवं सामाजिक मनोजनित प्रेरकों का वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- प्रेरणाओं के संघर्ष से आप क्या समझते हैं? इसके समाधान करने के तरीकों पर प्रकाश डालिये।
  94. प्रश्न- आवश्यकता-अनुक्रमिकता से क्या तात्पर्य है? मैसलो के अभिप्रेरणा सिद्धान्त का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  95. प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक एक प्रमुख सामाजिक प्रेरक है। स्पष्ट कीजिए।
  96. प्रश्न- “बाह्य अभिप्रेरण देने से आन्तरिक अभिप्रेरण में कमी आती है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  97. प्रश्न- जैविक अभिप्रेरकों के दैहिक आधार का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- आन्तरिक प्रेरणा क्या है और यह किस प्रकार कार्य करती है?
  99. प्रश्न- दाव एवं खिंचाव तंत्र अभिप्रेरित व्यवहार में किस प्रकार कार्य करता है?
  100. प्रश्न- जैविक और सामाजिक प्रेरक।
  101. प्रश्न- जैविक तथा सामाजिक अभिप्रेरकों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  102. प्रश्न- आन्तरिक एवं बाह्य अभिप्रेरण क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- प्रेरणा चक्र पर टिप्पणी लिखो।
  104. प्रश्न- अभिप्रेरणात्मक व्यवहार के मापदण्ड बताइये।
  105. प्रश्न- पशु प्रणोद की माप का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- संवेग से आप क्या वर्णन कीजिये। समझते हैं? इसकी विशेषतायें तथा इसके विकास की प्रक्रिया का
  107. प्रश्न- सांवेगिक अवस्था में क्या शारीरिक परिवर्तन होते हैं?
  108. प्रश्न- संवेग के जेम्स लांजे सिद्धान्त तथा कैनन बार्ड सिद्धान्त का तुलनात्मक विवरण दीजिये।
  109. प्रश्न- संवेग शैस्टर-सिंगर सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये।
  110. प्रश्न- संवेग में सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
  111. प्रश्न- संवेगों पर किस प्रकार नियंत्रण कर सकते हैं? स्पष्ट कीजिये।
  112. प्रश्न- 'पॉलीग्राफिक विधि झूठ को मापने की उत्तम विधि है। स्पष्ट कीजिये।
  113. प्रश्न- संवेग के
  114. प्रश्न- संवेग के कैननबार्ड सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा उनकी मानसिक योग्यता सामान्य छात्रों से कम होती है।
  115. प्रश्न- सार्वभौमिक एवं विशिष्ट संस्कृति संवेग की अभिवृत्ति के विषय में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  116. प्रश्न- गैल्वेनिक त्वक् अनुक्रिया का अर्थ बताइए।
  117. प्रश्न- संवेग के आयामों को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- संवेगावस्था में होने वाले परिवर्तनों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  119. प्रश्न- संवेगावस्था में होने वाले बाह्य शारीरिक परिवर्तनों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  120. प्रश्न- झूठ संसूचना से क्या आशय है?
  121. प्रश्न- संवेग तथा भाव में अन्तर बताइये।
  122. प्रश्न- संवेग के मापन की कोई दो विधियाँ बताइये।

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